Blissful Life by Krishna Gopal
आज बाह्य यात्रा के बजाय अंतर्यात्रा पर जाने का समय है।
Letter 01: What are IQ, EQ, and SQ?
Letter 02: Spirituality Quiescent (to know the creator of the universe and its creation)
Letter 03: Relation between soul and body
Letter 05: भक्ति व ज्ञान मार्ग में अंतर
Letter 08: The future of the country is in the hands of youngsters?
Letter 09: आज की शिक्षा प्रणाली
Letter 10: शिखर पर पहुँचने का रास्ता
Letter 11: भारत दुनिया का अग्रणीय राष्ट्र बनने की कगार पर
Letter 13: ड्रामे का गुह्य रहस्य
आज बाह्य यात्रा के बजाय अंतर्यात्रा पर जाने का समय है

मौजूदा स्थिति में हम बाहर नहीं जा सकते तो अपने भीतर चलें। आज हम सब एक ही नाव में सवार हैं। बाहरी दुनिया से संपर्क कम हो रहा है जो कि समय की आवश्यकता है। परिवार में रहते हुए इस परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें। हमारा भौतिक संपर्क केवल आवश्यक जरूरतों तक ही सीमित हो गया है और इससे अधिक कुछ करना भी नहीं चाहिए। हमें सीखना होगा भावनात्मक रूप से दूर हुए बिना शारीरिक दूरी कैसे बनाएं ? क्या हम ईश्वर द्वारा प्राप्त इस परिस्थिति का लाभ उठा सकते हैं ? ऐसे समय में हमें एक और अधिक शक्तिशाली संपर्क को याद करना चाहिए। वह है ईश्वर के संपर्क में बने रहना, उसके प्रति प्रेम प्रकट करना, उससे नजदीकयाँ बढ़ाना आदि।
एक छोटा सा अभ्यास हमें ईश्वर के साथ-साथ अपने प्रियजनों से दूर रहते हुए भी भावनात्मक रूप से जोड़ सकता है, मेरा ऐसा मानना है। निश्चय ही इस अभ्यास से जो प्राप्तयाँ मिलेंगे वह अद्भुत होंगी।
सर्वप्रथम आराम से बैठ कर अपनी आँखें कोमलता से बंद कर ले। जिस किसी को भी आप (विशेषकर जो आपसे शारीरिक रूप से दूर है) अपनी शुभ भावनाएं, शुभकामनाएं, शांति, प्रेम व श्रद्धा व्यक्त करना चाहते हैं चाहे वह ईश्वर या आपका इष्ट देव ही क्यों ना हो उसे अपने सामने बैठा हुआ महसूस करें। अपने दिल को उसके दिल से जुड़ा हुआ महसूस करें।
यह जुड़ाव आप और उस छवि के प्रति एक निर्मल गंगा का रूप ले ले तो जो आनंद की अनुभूति होगी उसका असर काफी समय तक आपको सुख व शक्ति का एहसास कराता रहेगा।
शायद प्रकृति हमें अवसर दे रही है कि हम अपनी बाह्य गति को धीमा करें और बाहर जाने (या सोचने) के बजाए भीतर की यात्रा पर निकल जाएं और जो ऊर्जा बाहर जा रही थी भीतर की ओर मुड़ जाए और जब यह एक स्थाई दशा (रूप) बन जाएगी व नदी की तरह निरंतर प्रवाहित होने लगेगी तब हमारे लिए नए मार्ग खोजने लगेगी तथा नई नई उपलब्धियों के साथ एक constructive व्यस्तता की ओर प्रेरित करती रहेगी।
With lots of Love & Affection
Dada
Krishna Gopal
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