Blissful Life by Krishna Gopal

Letter 07: सुविचार

DigitalG1 Letter

प्रिय बच्चों,

ईश्वर आपके लिए कार्य नहीं करते, वह तो आपके साथ कार्य करते हैं। और वह आपके साथ तभी कार्य कर सकते हैं, जब आप उनके आदेशानुसार चलते हैं। स्वयं को उनके अनुकूल बनाते हैं। स्वयं को उनके संदेश के अनुसार अनुशासित करते हैं। परमात्मा कहते हैं “पहला कदम तुम्हें स्वयं ही रखना होगा, तब ही मैं हजार कदम तुम्हारे साथ चलूँगा।”
इस भ्रम में न रहें कि परमात्मा हमारी पूजा, अनुष्ठान व चढ़ावे के कारण हमारी रक्षा करेंगे। यें सब प्रलोभन मात्र हैं।
हमें निरंतर ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, कर्म और सद्गुणों की खेती करते रहना होगा।
यदि ईश्वर की उपासना, पूजा करना ही पर्याप्त होता तो, गीता, कुरान और बाइबल धर्म ग्रंथ किस लिए? प्रत्येक धर्मग्रन्थ का आधार ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, कर्म और सद्गुणों का विकास करते रहना ही है।
इनका अनुसरण करने से ही हम अपने जीवन को आनंदमय बना सकते हैं।
उदाहरण –
  1. यदि कुरान के अनुसार पांच बार नमाज पढ़ना ही काफी होता तो कुरान में और सब “क्या करें क्या ना करें” लिखने का कोई तुक नहीं बनता है।
  2. केवल प्रत्येक रविवार सुबह चर्च में जाना ही काफी नहीं है।
  3. प्रतिदिन मंदिर में जाना, पुष्प चढ़ाना (या अन्य कोई चढ़ावा) ही सब कुछ नहीं है।
अतः सभी धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन व मनन अति आवश्यक है, वह भी पूरी निरंतरता के साथ।

With lots of Love & Affection

Dada
Krishna Gopal

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