Blissful Life by Krishna Gopal
Letter 09: आज की शिक्षा प्रणाली
Letter 01: What are IQ, EQ, and SQ?
Letter 02: Spirituality Quiescent (to know the creator of the universe and its creation)
Letter 03: Relation between soul and body
Letter 05: भक्ति व ज्ञान मार्ग में अंतर
Letter 08: The future of the country is in the hands of youngsters?
Letter 09: आज की शिक्षा प्रणाली
Letter 10: शिखर पर पहुँचने का रास्ता
Letter 11: भारत दुनिया का अग्रणीय राष्ट्र बनने की कगार पर
Letter 13: ड्रामे का गुह्य रहस्य
आज बाह्य यात्रा के बजाय अंतर्यात्रा पर जाने का समय है

प्रिय बच्चों,
पिछले कई सालों से Board की परीक्षाओं में पास होने वाले छात्र नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। विशेषकर पिछले दो चार सालों से शत प्रतिशत अंक हासिल कर नया शिखर छू लिया है। यद्यपि वें सभी बधाई के पात्र हैं, परंतु साथ-साथ कुछ विकट सवाल भी मुँह बाये खड़े हैं, जिन को नजरअंदाज करना असंभव है। क्या परीक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि 90, 95, 100% अंक हासिल करना बहुत आसान हो गया है। आज कल की शिक्षा प्रणाली रटन्त विद्या ही बनकर रह गई है।
सृजनात्मक, व्यवहारिक ज्ञान की चिंता किसी को नहीं है। नैतिकता का स्कूली शिक्षा से कोई नाता नहीं रह गया है। अधिक से अधिक अंक पाने के लिए कोचिंग और ट्यूशन ही सहारा बनते जा रहे हैं।
समस्या तो उन ( गरीब ) बच्चों की है जो 98, 99% अंक हासिल नहीं कर पाते। अभिभावक निराश होने के साथ-साथ इसके लिए अपने आप को जिम्मेदार मानने लगते हैं और तनावग्रस्त हो जाते हैं। यह स्थिति समाज के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है।
वास्तविकता यह है कि CBSE Board में 90 से 95% पाने वाले केवल 40 से 45% बच्चों को ही IIT में Admission हो पाता है (why not more) और लोक सेवा आयोग तक जाते-जाते यह प्रतिशत 30 से 35% रह जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रतिभा और व्यक्ति विकास का सही आकलन नहीं हो पा रहा है। Board परीक्षा की यह दरियादिली बच्चों के आत्मविश्वास को डिगा रही है, जिस कारणवश आगे चलकर उनमें हीन भावना पैदा कर सकती है।
(हमारे समय में तो first class लाना ही मुश्किल होता था।)
इसका मुख्य कारण शिक्षा विभाग में विशेषज्ञों के बजाय नौकरशाही का महत्व बढ़ना है विशेषज्ञों को केवल नाम मात्र के लिए ही जोड़ा गया है। अब सही समय आ गया है कि इस और ध्यान दिया जाये। यह अति आवश्यक हो गया है। मूल्यांकन के तरीके में बदलाव की जरूरत है, जरूरत है नए पाठ्यक्रम के निर्माण की।
(क्या वजह है हम आज भी नोबेल विजेता, महान वैज्ञानिक आदि नहीं पैदा कर पा रहे हैं।)
आज की स्थिति भारत की ज्ञान परंपरा को पीछे छोड़ती जा रही है। हम अध्ययन, मनन, चिंतन और उपयोग को भूलते जा रहे हैं। (textbooks से short notes, short notes से key, key से short question answer पर आ गए हैं) केवल अंको की होड़ में (somehow or other) अपने को सीमित कर लिया है। हृदय और मस्तिष्क के विकास को पीछे छोड़ते जा रहे हैं।
हमें नए सिरे से विचार करना तथा शिक्षा को नया व सही कलेवर देना परम आवश्यक हो गया है। इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है। इसके पहले कि हमारे नौनिहालों की विचार और कल्पना शक्ति कुंद हो हमें शीघ्र ही इस Number Game से बाहर निकलना होगा ताकि भारत विश्व गुरु फिर से बन सके।
इस Number Game के विपरीत कुछ Example देना चाहूंगा।
- सुप्रसिद्ध Cricket खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर।
- देश के प्रथम Noble Prize winner रविन्द्र नाथ टैगोर।
- Missile Man और Ex President डा० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम।
(और कई अन्य नाम भी हैं ) यें सब अपने अपने क्षेत्र की महान हस्तियाँ हैं। इन सभी ने औपचारिक शिक्षा नहीं ली, न ही परीक्षा में इनके बहुत अच्छे number आये।
अतः इन लोगों से सभी अभिभावकों व छात्रों को सीख व प्रेरणा लेने की जरूरत है।
जो बच्चे परीक्षा में अच्छे number नहीं ला पाये हैं, उन्हें मायूस होने की जरूरत नहीं है। तमाम नई राहें उनकी प्रतिभा की राह देख रही हैं। उन्हें अंको के इस तनाव को यहीं छोड़कर आगे बढ़ जाना है।
आशा है आने वाली नई सरकार इस Number Game वाली स्कूली शिक्षा में कुछ नया और ताजापन लाये।
With lots of Love & Affection
Dada
Krishna Gopal
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