Blissful Life by Krishna Gopal
Letter 12: Cosmic Energy
Letter 01: What are IQ, EQ, and SQ?
Letter 02: Spirituality Quiescent (to know the creator of the universe and its creation)
Letter 03: Relation between soul and body
Letter 05: भक्ति व ज्ञान मार्ग में अंतर
Letter 08: The future of the country is in the hands of youngsters?
Letter 09: आज की शिक्षा प्रणाली
Letter 10: शिखर पर पहुँचने का रास्ता
Letter 11: भारत दुनिया का अग्रणीय राष्ट्र बनने की कगार पर
Letter 13: ड्रामे का गुह्य रहस्य
आज बाह्य यात्रा के बजाय अंतर्यात्रा पर जाने का समय है

It is the external Spiritual Energy (प्राणशक्ति). It is present everywhere all the time. People need this energy in order to maintain balance in their lives.
It is a life force जो vibrations (स्पंदनों) द्वारा जीवन को आगे बढाती है।यह सृष्टि law of Energy or law of Universe के अनुसार कार्य करती है। यद्यपि इसे हमने देखा नहीं है इसलिए हो सकता है इसे समझने में थोड़ा समय लगे। वास्तव में यूँ तो हमने कई प्रकार की Energy और भी नहीं देखी हैं परन्तु जीवन में उनका प्रयोग प्रचूर मात्रा में करते हैं इसलिए वो Energies हमारे लिए जानी पहचानी या यूँ कहें जीवन का अंग बन जाती हैं।
for example:
1. Electric Energy
इस Energy द्वारा हम सारे electrical or electronics devices का भरपूर प्रयोग करते हैं। Switch on उपकरण चालू, Switch off उपकरण बंद। बड़ी आसानी से हमने इन उपकरणों को use करना सीख लिया है। परन्तु हमने Electric Energy देखी कभी नहीं है।
2. Solar Power
यह कैसे बनती है, कैसे Electric Energy में convert होती है। बस इतना पता है कि सूर्य की किरणों से यह Solar Power बनता है। इसका भी उपयोग करना सीख लिया परन्तु इसे भी देखा कभी नहीं है।
3. Wi-fi Energy
इसी प्रकार Wi-fi को हमने देखा नहीं है बस इतना पता है कि वो Router से आती है और इसे भी हमने use करना सीख लिया है।
इसी प्रकार हमारी Universe (ब्रह्माण्ड) में Cosmic Energy व्याप्त है इसे भी हमने देखा नहीं है ज्यादातर इससे अनभिज्ञ हैं। परन्तु यह हमारे लिए इतनी Important है कि इसके (Cosmic Energy के) बिना जीवित नहीं रह सकते। यदि वो आना या मिलना बंद हो जाये तो हम खत्म (finish) समझिये। इसलिए इसे प्राणशक्ति प्राणदायनी (Lifeforce Energy) कहा गया है। यही प्राणशक्ति हमारे शरीर की Immunity को भी बढ़ाती है।
अब ये जानना जरूरी है कि यह हमारे पास कैसे आती है या हमें कैसे मिलती है, हम इसे कैसे absorb करते हैं या अपनी Absorbing Capacity को बढ़ा सकते हैं (इस प्राणदायनी ऊर्जा को)।
हमारे मन में एक दिन में लगभग 60,000 thoughts उत्पन्न होते हैं और जितनी बार ये विचार आते हैं उतनी ही बार मन में स्पन्दन (vibrations) उत्पन्न होते हैं। और हमारे चारों तरफ इन स्पन्दनों का एक field (Aura) तैयार हो जाता है और यह Aura इतना Strong होता है कि इनके प्रभाव के अनुसार ही हमारा जीवन आगे बढ़ता है या चलता है। और हम इसके अनुसार कार्य करने लगते हैं।
हमारे लिए अब यह सीखना या Manage करना आवश्यक हो जाता है कि हम किस प्रकार का Aura Create (+ive or –ive ) करें ताकि हम अपने जीवन को Protect कर सकें, सुरक्षित रखें, स्वस्थ रखें। अर्थात अपनी Immunity Power को maintain करने के साथ बढ़ा भी सकें और एक स्वस्थ जीवन के साथ साथ लम्बा जीवन जी सकें।
इसका कुल सार हुआ Protection
Protection के चार ‘P’ याद रखने व उन पर अमल करना जरूरी है।
- 1st ‘P’ : Pure Intention (शुद्ध भावना)
- 2nd ‘P’ : +ive Mindset (अच्छी सोच)
- 3rd ‘P’ : Pranayam (प्राणायाम)
- 4th ‘P’ : Prayer (a collective Prayer) प्रार्थना के साथ मैडिटेशन।
1st 'P' : Pure Intention (शुद्ध भावना)
अर्थात मेरा ही नहीं सबका भला हो। मैं ही जीतू वो कैसे हारे (No win-loose formula) only remember win-win—win formula. मेरी भी जीत और सबकी भी जीत (मेरा कल्याण साथ साथ सबका कल्याण) जरा सोचो यदि मेरी या मेरे बच्चे के साथ साथ सबकी first division आ जाये तो क्या फर्क पड़ता है। So remember Win Win formula का ही प्रयोग करना है।
2nd 'P' Positive Mindset (अच्छी सोच)
सदैव अच्छा ही सोचना है। अपने अन्दर के डर को खत्म करना है। दुनिया में हम अपनी मर्जी से नहीं आये हैं। और न ही जायेंगे। इसके लिए -ive सोच को +ive सोच में बदलना है। अब प्रश्न उठता है कि इस जीवन (युद्ध) में तो -ive thoughts ज्यादा आते हैं। जीवन में गलत ज्यादा होता है। ऐसी परिस्थिति में +ive thoughts कहाँ से लायें। Please यह कहकर अपने को justify मत करें।
जरा सोचें क्या अब तक आपके जीवन में सब कुछ गलत ही हुआ है। कभी तो एक बार दो बार तीन बार तो कुछ अच्छा घटित हुआ होगा। माना दो बार ही सही। -ive सोच आने पर उन दो अच्छी घटनाओं को याद कीजिये। बार-बार, कई बार याद करके दोहराइयेगा। इसे करके तो देखें। आपकी सोच (अच्छी) चुंबकीय संकेत भेजना शुरू कर देगी और उन जैसे विचारों को अपनी और आकर्षित करने लगेगी। क्योंकि यही Law of attraction (आकर्षण का नियम) है। Like thoughts attract the like thoughts.” एक गलत सोच हजार गलत सोच, और एक सही सोच कई सुखद सोचों को जन्म देती है। यहाँ तक कि यदि किसी ने आपके साथ गलत भी किया हो तो उसके प्रति क्षमा भाव या Soft भाव उत्पन्न होने लगते हैं।
ध्यान रहे आप ब्रह्माण्ड के सबसे शक्तिशाली चुम्बक हो। एक कहानी याद आ रही है।
एक छोटे से (6, 7 साल) बच्चे को उसकी माँ ने किसी बात पर पीट दिया … बच्चे को बहुत बुरा लगा। बच्चा (रोते हुए) यह कहकर I hate you, I hate you… माँ से बचने के लिए घर से भाग निकला। घर के सामने छोटी सी पहाड़ी थी। बच्चा वहाँ पहुँचकर जोर जोर से चिल्लाने लगा।
I hate you, I hate you. वो एक बार I hate you कहता, उसके जवाब में यही बात (गूँज के कारण) उसे बार बार सुनाई देती। बच्चा डर जाता है। वापिस घर आकर बड़े भोले भाव से माँ को कहता है, माँ पहाड़ी पर कोई भूत है वो मुझे बार बार कह रहा था I hate you, I hate you…
माँ समझ जाती है वो कहती है, नहीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता। अच्छा तुम दुबारा जाओ और कहो I love you. बच्चा ऐसा ही करता है और इस बार बच्चे के कानों में जो गूंज सुनाई देती है वो है I love you, I love you, I love you… बच्चा खुश हो जाता है और घर आकर हसते हुए माँ को बताता है। माँ उसे गले लगाती है।
तो दोस्तों This was the impact of just one +ive thought. So it is not difficult to change your Aura. This is the magic of a +ive mindset.
3rd 'P' Pranayam (प्राणायाम)
हम सब जानते हैं, जब तक प्राण हैं हम जिन्दा हैं। जीवन-मृत्यु के बीच की कड़ी प्राण हैं (साँसे)। प्राण हमारी जीवनशक्ति तथा रोग प्रतिरोधक शक्ति का आधार है। यें ह्रदय, फेफड़ों व मस्तिष्क को स्वस्थ व ऊर्जावान बनाते हैं। रक्त संचार की व्यवस्था सुधरते हैं। अतः कम से कम 6 से 8 मिनट तक भस्त्रिका कपालभाती, अनुलोम विलोम, भ्रामरी ये चार प्राणायाम 2-2 मिनट तक रोज अवश्य करें। इनके करने से -ive thoughts की सँख्या कम हो जाती है।
4th 'P' Prayer (प्रार्थना-मैडिटेशन)
जिस पर भी आपका विश्वास हो अवश्य करें। परन्तु ध्यान रहे एक नाव पर ही सवार रहें अर्थात एक बल, एक भरोसा। It may be a collective prayer not only one way it must be two way i.e. सुनना व सुनाना।
There is one word “SILENT” and there is a great power in Silence.Silent के Alphabets से दो शब्द और बनते है।
- Listen (परमात्मा को सुनना)
- Enlist (परमात्मा के गुणों को जानना, लिखना)
With lots of Love & Affection
Dada
Krishna Gopal
Please Share:
Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
LinkedIn
Pinterest
Reddit
Tumblr
Email
Print